1. |
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मन की मन ही माही रही, सुन उन ही की अपनी कही.
घाव गुण ही की ऐसी लही, बहुत सही, तनिक कही.
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2. |
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मन वारी हो कारी कारी
वापे वारी फेरी वारी |
चंचल मृगनैनी सांवरी
कीनी बात हम तब बावरी बिगड़ी
खूब दीनी गारी |
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3. |
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दिल बेकरार है गाहो
अब तक नी आयो
मोहे डर ही डर लाग्यो |
मिट गयो री बेला आवन की आज
कछु कह ना गयो मोहे डर ही डर लाग्यो |
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4. |
Megh - Garaje Ghataa Gan
01:36
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गरजे घटा घन कारी रे कारी
पावस रितु आई, दुलहन मन भाई |
रैन अँधेरी, बिजुरी डरावे
सदारंगीले मोम्मदसा पीया घर नाही |
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5. |
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अत धूम धाम आए बादर कारे
मोरे मन भावन आए |
रैन अँधेरी दामिनी दमके
पपीहा पियु पियु पियु बोले
प्रेम पिया को अब कोई बुलावे |
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6. |
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बोलन लागी पपिहरा रे
मुरवा दादुरवा झिंगार |
सुन री सखी जिया की बिथा
पीया बिन कैसे करूं मैं सिंगार |
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7. |
Thumri - Laag Rahi
02:45
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लाग रही एरी सावन की झरी
अब मैं उन बिन भीजत कब की कड़ी |
सपने में आए पिया मोरा मन ले गयो
दे गयो री असुवन की झारी
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8. |
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