1. |
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करीम नाम तेरो, तू साहिब सतार |
दुख दरिद्र दूर कीजै, सुख देवो सबन को
अदारंग बिनती करत रहे
सुनले हो करतार |
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2. |
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घर मोहे जाने ना देत बलमा
छाए मन ब्याकुल घन, पवन चालत सननननन
जाने न माने अब मोहे भावे ना बैरी बलमा |
चापलासी चमकत जब हूंक उठत हिया में तब
जाने न माने अब मोहे भावे ना बैरी बलमा |
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3. |
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जाज्यो रे बदरवा, जाय तू तो सैंयाजी खेतां बरसों रे |
जाय सुनादे मैं तोहे पठावा, गरजो रे पीया मुख हरसो रे |
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4. |
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न भाए दरस एक, निरखूं रूप अनेक |
लुभाए मन बहु रूप, बहुरूपिनी धुन नेक,
निरखूं रूप अनेक |
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5. |
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बीती सारी रैना
डरे जिया, अकुलावे पीया बिना |
कहत गुनी जब सुनत
राग कमल ताल में खिले नाही छंद बिना |
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6. |
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आवत नित याद रस के रसिया
सुमिरन करूं गुण की चरचा |
राग ताल के खेलैया
मन में बसे हैं शोकपिया
सुमिरन करूं गुण की चरचा |
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7. |
Patmanjari
10:21
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१:
सजल नैना काहे है री
गोरी कारण बता दे री |
ना हम देख सकत तोरा शोक
ना सोहे दृग जल तोहे
गोरी कारण बता दे री |
२:
सलज मन, नत नयन, कंपित उर अंतर
होय जब जब प्रिय मिलन |
छीन बुरी, छीन मधुर कसक अति
लाग रहत अंतर
होय जब जब प्रिय मिलन |
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